मेरी पसन्द की कविता
शैख़ जी थोड़ी सी पीकर आइयेमय है क्या शय फिर हमें बतलाइये
आप क्यों हैं सारी दुनिया से ख़फ़ाआप भी दुश्मन मेरे बन जाइये
क्या है अच्छा क्या बुरा बंदा-नवाज़आप समझें तो हमें समझाइये
जाने दिजे अक़्ल की बातें जनाबदिल की सुनिये और पीते जाइये
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