शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

बम ने फटने से पहले, एक लफ्ज़ तक पूछा नही...........राकेश गुप्ता


खतना तेरा हो गया, या बिन खतने का है तू आदमी,
बम ने फटने से पहले, एक लफ्ज़ तक पूछा नही...........

राम तेरा बाप है, या रहीम की औलाद तू ,
बम रखने वालों ने एक पल को भी सोचा नही........

खून आलूदा हैं सड़के, तन में मन में खून भरा,                                       
मौत जब झपटी तो उसने, हिन्दू मुसलमां देखा नही.........

उजड़े घरों में गूंजते, फातिमा की चीख सीता के नाले,
ये किस जहाँ में आ गया, ये स्वप्न तो मेरा नही.............

फिर सीना लहू लुहान हुआ, फिर पीठ में खंजर घोंप दिया,
26 /11 का जख्म तो अब तलक भरा नही ..........