चिरकीन


1. था गिरिफ्तारी में हो खतरा  मुझे बेदाद का
कर  दिया  बैत -  उल - खला  हग  हग के  घर  सय्याद  का.

2. गेज़ में  तलवार  खींची  हैदर -ए-कर्रार  ने ,
     डर  के मारे  हग दिया लश्कर -ए-कुफ्फार  ने.

3.
दस्त  से  खाना  खिलाया  मैंने  अपने  या र  को ,
    पानी  जब  माँगा  तो  हमने  पेश - आब  करदिया.
4.
हग  दे  अगरचे  वोह  बुते  बेपीर  हाथ  मैं ,
   ले  गू  का बोसा   आशिके  दिलगीर  हाथ में.

5.
 मरोंडे  पे ट में उठें  न  किस  तरह  ’चिरकीन ’,
 किसी  की  ज़ुल्फ़  का याद  आया  पेंच -ओ -ताब  हमें .

6.

   चांदनी  को खेत  में जब हगने  बैठा  माह  रु ,
   लीद  खा  खा कर हिलाले  चर्ख  गर्दूं  हो गया .

7.
 दस्त पर  दस्त  चले  आते  हैं  ले  जल्द  खबर ,
 तेरे  बीमार  का अब  हाल  है  पतला  कातिल .
  दस्त-बर -दार  हूँ   इन  बातों  से  अब जाने  दे ,
       क़त्ल  ‘चिरकीन’ को न कर,   गू न उछाल  ई  कातिल.

8.
  किसी  के  पाद   से उडती    न कंकरी  देखी ,
  उड़ाये  देता  है  चिरकीन’ पहाड़  फुसकी  से.

9.

  हम  से अच्छे  हें   पखाने  के  क़दम्चे  “ चिरकीन”,
  हम  तो दीदार कू  तरसें  वो  बरेहना  देखें .

10.

   बाद  मुद्दत  आप  का मेरे  घर आना हुआ ,
   तेज़  की घुमड़न  हुई  और  धड़  से पखाना  हुआ.

11.

     चिरकीन चने  के खेत में चिरको  अलग  अलग,
    सूरत  अलग अलग रहे  सीरत  अलग अलग.

12.

  दिल  था  खयाले  यार  में निकला  जो  एक  दस्त,
  पोंक  से दीवार  पे तस्वीरे  जाना  बन  गयी .

13.

  नाज़  से बोला  दमे  रुखसत  न आना  फिर  कभी ,
   वरना  ऐ  “चिरकीन ” यह  घर बे -तुल -खला हो जायेगा .