शुक्रवार, 6 मई 2011

तू जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर

अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर. तू जिंदा है ....


ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन,
ये दिन भी जायेंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन.
कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नज़र,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर. तू जिंदा है...

हमारे कारवां को मंजिलों का इंतज़ार है,
ये आँधियों, ये बिजलियों की पीठ पर सवार है.
तू आ कदम मिला के चल, चलेंगे एक साथ हम,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर. तू जिंदा है ...



ज़मीं के पेट में पली अगन, पले हैं ज़लज़ले,
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये,
मुसीबतों के सर कुचल चलेंगे एक साथ हम,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर. तू जिंदा है...



बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग ये,
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इन्कलाब ये,
गिरेंगे ज़ुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर. तू जिंदा है...

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