शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

तुम्हारे बिना




तुम्हारे बिना

अब तुम्हारे बिना


मेरा जी नहीं लगता कही ।


अब इस बात को


मैं कविता बनाकर


नहीं कह सकता

 ,
कविता बनानी ही आती तो


मैं जी न गया होता


तुम्हारे बिना !


जी नहीं पा रहा हूँ मैं


तुम्हारे बिना ।





2




मानो तो देव

नहीं तो पत्थर ,

किसी ने आज तक

उसे पत्थर माना हो

तो बताइए !





3




मै हूँ तुम्हारे


बुरे दिनों का साथी

तुम्हारी ख़ुशी का

मैं हिस्सेदार नहीं ।

खुदा करे -

न बुरे दिवस आयें

तुम्हारे पास

न मैं आऊँ ।